🌅 मैथिली ठाकुर का BJP में शामिल होने तक का सफर: संगीत से राजनीति तक की कहानी
भूमिका
भारतीय लोक संगीत की नई पहचान बनीं मैथिली ठाकुर ने अपने मधुर स्वरों से पूरे देश में नाम कमाया है।
जहां कभी वह मंदिरों, लोकमंचों और यूट्यूब पर अपने भक्ति गीतों से लोगों के दिल जीतती थीं,
वहीं अब उन्होंने एक नया रास्ता चुना है — राजनीति का।
जब उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होने की घोषणा की,
तो पूरे बिहार और देशभर में चर्चा का विषय बन गईं।
लोगों के मन में सवाल उठा — एक गायिका आखिर राजनीति में क्यों आई?
इस लेख में हम उनके जीवन, संघर्ष, उपलब्धियों और BJP तक के सफर को विस्तार से समझेंगे।
प्रारंभिक जीवन: संगीत से जुड़ी बचपन की जड़ें
मैथिली ठाकुर का जन्म 25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी जिले के एक छोटे से गांव बेनीपट्टी में हुआ।
उनका नाम ही उनकी मातृभाषा “मैथिली” से प्रेरित है।
बचपन से ही उनके घर का वातावरण संगीत से भरा हुआ था।
उनके पिता रमेश ठाकुर खुद संगीत के जानकार हैं और बच्चों को संगीत सिखाने का काम करते हैं।
मां पूर्जा ठाकुर गृहिणी हैं, जो हमेशा अपने बच्चों को संस्कृति से जोड़े रखने में विश्वास रखती हैं।
तीनों भाई-बहनों — मैथिली, ऋषभ और अयाची — ने बचपन से ही पिता से संगीत की शिक्षा ली।
घर में हर सुबह रियाज़ होता था। बिजली न हो तो लालटेन के नीचे भी संगीत चलता रहता था।
पिता ने बचपन से सिखाया था कि “संगीत पूजा है, नाम कमाने का तरीका नहीं।”
शायद यही शिक्षा आगे जाकर मैथिली को अलग पहचान दिलाने वाली बनी।
संगीत की शुरुआत: सोशल मीडिया से शोहरत तक
मैथिली ने कभी किसी बड़े मंच से शुरुआत नहीं की।
उन्होंने अपने पिता की मदद से YouTube पर छोटे-छोटे वीडियो अपलोड करने शुरू किए।
उनकी आवाज़ में लोकगीत, भजन और शास्त्रीयता का अनोखा संगम था।
धीरे-धीरे लोग उनकी आवाज़ के दीवाने होने लगे।
उनके गाए हुए गीत —
“राम सिया राम”, “लालटेन”, “कन्हैया मोरे”, “बाबा नागरजुन की कविताएं”
यूट्यूब पर लाखों लोगों ने सुने।
उनकी सादगी और शुद्ध उच्चारण ने उन्हें बाकी कलाकारों से अलग बना दिया।
वह कभी ग्लैमर या शोबिज के पीछे नहीं भागीं,
बल्कि भारतीयता और परंपरा को अपनी ताकत बनाया।
लोकप्रियता और उपलब्धियाँ
मैथिली ठाकुर को देशभर में उस समय पहचान मिली जब उन्होंने टीवी शो “Rising Star” (कलर्स टीवी) में भाग लिया।
वह शो की फाइनलिस्ट रहीं और अपनी गायकी से जजों व दर्शकों का दिल जीत लिया।
हालांकि वह शो नहीं जीतीं, लेकिन लोगों के दिलों में स्थायी जगह बना ली।
इसके बाद उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “मन की बात” में भी सराहा,
जहां उन्होंने मैथिली की आवाज़ की प्रशंसा करते हुए कहा —
“देश की नई पीढ़ी लोक संस्कृति को जीवित रख रही है, इसका सबसे सुंदर उदाहरण मैथिली ठाकुर हैं।”
वर्षों की मेहनत के बाद उन्हें
उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार,
भारत गौरव सम्मान, और
लोक संस्कृति सम्मान जैसे अवार्ड भी मिले।
संगीत से समाजसेवा तक
मैथिली सिर्फ गायिका नहीं हैं, वह संस्कृति की वाहक हैं।
उनके गीतों में धार्मिकता, सामाजिक संदेश और भारतीय सभ्यता का सार होता है।
वे अक्सर कहती हैं —
“मेरा संगीत सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि संस्कार और सीख देने के लिए है।”
उन्होंने बिहार और उत्तर प्रदेश के गांवों में जाकर “मिथिला लोक संगीत अभियान” चलाया,
जिसका मकसद था लोक गीतों को नई पीढ़ी तक पहुंचाना।
इस अभियान में उन्होंने हजारों बच्चों को नि:शुल्क संगीत सिखाया।
उनकी सोशल मीडिया पर भी बहुत बड़ी फॉलोइंग है —
YouTube पर करोड़ों व्यूज़, Instagram पर लाखों फॉलोअर्स।
लेकिन उन्होंने हमेशा सादगी बनाए रखी,
वह कभी भी ग्लैमर की दुनिया में नहीं खोईं।
राजनीति में रुचि कैसे जगी
समय के साथ मैथिली को एहसास हुआ कि
सिर्फ संगीत से समाज की हर समस्या हल नहीं होती।
जब उन्होंने अपने इलाके में सड़क, शिक्षा और महिला सुरक्षा जैसी समस्याएँ देखीं,
तो उनके मन में विचार आया कि कला के साथ सेवा भी जरूरी है।
उन्होंने कई बार अपने वीडियो में कहा था —
“मैं चाहती हूं कि मेरे गाने लोगों को जोड़ें, और मेरा काम समाज को बदलने की प्रेरणा दे।”
धीरे-धीरे उन्होंने राजनीति के लोगों से संवाद शुरू किया।
वह कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों में BJP नेताओं से मिलीं।
उनकी सोच “सांस्कृतिक राष्ट्रवाद” और “भारतीयता” से मेल खाती थी।
BJP से जुड़ने का फैसला
2025 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने
भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सदस्यता ली।
यह कोई अचानक लिया फैसला नहीं था,
बल्कि कई महीनों के विचार और चर्चा के बाद उठाया गया कदम था।
पार्टी में शामिल होते समय उन्होंने कहा —
“मैं राजनीति में नाम या पद के लिए नहीं, सेवा के लिए आई हूं।
मेरा मकसद है अपने राज्य की संस्कृति और परंपरा को नई पहचान देना।”
BJP ने भी उन्हें “सांस्कृतिक युवाओं की आवाज़” के रूप में पेश किया।
उनकी सादगी, लोकप्रियता और बिहार की मिट्टी से जुड़ाव
उन्हें बाकी चेहरों से अलग बनाता है।
जनता की प्रतिक्रिया
मैथिली ठाकुर के BJP में आने के बाद सोशल मीडिया पर
#MaithiliThakur और #BJP ट्रेंड करने लगे।
लोगों के दो तरह के विचार सामने आए —
कुछ लोगों ने कहा कि “यह राजनीति में स्वच्छता की नई शुरुआत है”,
वहीं कुछ ने सवाल उठाए कि “क्या एक कलाकार राजनीति के दबाव को झेल पाएगी?”
लेकिन मैथिली ने एक इंटरव्यू में स्पष्ट कहा —
“लोग मुझे कलाकार के रूप में जानते हैं, लेकिन मैं एक भारतीय बेटी भी हूं।
अगर देश या समाज को मेरी जरूरत है, तो मैं हर जिम्मेदारी निभाऊंगी।”
उनकी यह बात कई युवाओं के दिल को छू गई।
राजनीतिक सफर की शुरुआत
BJP ने उन्हें मिथिला क्षेत्र के प्रचार और सांस्कृतिक अभियानों में शामिल किया।
वह महिला सशक्तिकरण, लोककला, और शिक्षा जैसे मुद्दों पर
युवाओं से संवाद करने लगीं।
संभावना है कि आने वाले चुनावों में
उन्हें मधुबनी या दरभंगा क्षेत्र से टिकट मिल सकता है,
क्योंकि यही उनका गृह क्षेत्र है और यहां उनकी लोकप्रियता सबसे अधिक है।
वह फिलहाल बिहार के युवाओं और महिलाओं को प्रेरित करने के लिए
“संगीत से सेवा तक” अभियान चला रही हैं,
जहां वह लोकगीतों के माध्यम से सामाजिक मुद्दों पर बात करती हैं।
चुनौतियाँ और उम्मीदें
राजनीति का रास्ता आसान नहीं है।
मैथिली ठाकुर के सामने भी कई चुनौतियाँ हैं —
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अनुभव की कमी
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विरोधियों की आलोचना
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लोगों की ऊँची अपेक्षाएँ
लेकिन उनके पास जो चीज है,
वह है सच्चाई, समर्पण और जनता से भावनात्मक जुड़ाव।
यह वही गुण हैं जो किसी भी नेता को जनता का विश्वास दिलाते हैं।
उनका लक्ष्य है कि
“संगीत के जरिए समाज की आत्मा को जगाऊं,
और राजनीति के जरिए उसकी जरूरतें पूरी करूं।”
निष्कर्ष
मैथिली ठाकुर का BJP में शामिल होना
सिर्फ एक राजनीतिक खबर नहीं,
बल्कि यह उस सोच का प्रतीक है जहां कला और समाजसेवा एक साथ चल सकते हैं।
उनकी कहानी प्रेरणा देती है कि
अगर कोई व्यक्ति अपने काम में सच्चा है,
तो वह किसी भी क्षेत्र में बदलाव ला सकता है।
मैथिली ने साबित किया है कि
एक संगीत साधिका भी समाज की सशक्त नेता बन सकती है।
उनका यह सफर अब भी जारी है —
जहां हर कदम पर वे अपने सुरों और संकल्प से
देश की संस्कृति और राजनीति दोनों को नई दिशा दे रही हैं।
